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दशहरा 2024: नीलकंठ पक्षी देखना क्यों माना जाता है शुभ, अब यह पक्षी क्यों नहीं दिखते?

ओमप्रकाश चौधरी

वाराणसी: दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी देखना भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, और युद्ध से पहले उन्होंने नीलकंठ पक्षी का दर्शन किया था, जिसे सकारात्मक संकेत के रूप में देखा गया।

नीलकंठ को भगवान शिव का प्रतीक भी माना जाता है। इसे देखने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आने की उम्मीद की जाती है।

हालांकि, वर्तमान समय में नीलकंठ पक्षी बहुत कम दिखाई देते हैं। इसके पीछे प्रमुख कारणों में पर्यावरणीय असंतुलन, शहरीकरण, वृक्षों की कटाई, और प्रदूषण शामिल हैं।

नीलकंठ प्राकृतिक आवासों में रहता है और पेड़ों पर अपने घोंसले बनाता है, लेकिन तेजी से घटते जंगल और पेड़ों की कमी के कारण इसका निवास स्थान सिकुड़ता जा रहा है।

इसके अलावा, कीटनाशकों और रसायनों के अत्यधिक उपयोग से इन पक्षियों के भोजन पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है, जिससे इनकी संख्या में कमी आई है।

विज्ञान और पर्यावरणविदों का मानना है कि अगर नीलकंठ जैसे पक्षियों को बचाने के लिए तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में ये पक्षी पूरी तरह से विलुप्त हो सकते हैं।

नीलकंठ की घटती संख्या एक चेतावनी है कि हमें अपने पर्यावरण को संतुलित रखने और जीव-जंतुओं के संरक्षण की दिशा में सक्रियता से काम करना होगा।

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